श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि। बरनऊँ रघुवर विमल जस, जो दायक फल चार।। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छन्द है -

  • 1

    दोहा

  • 2

    चौपाई

  • 3

    सवैया

  • 4

    कवित्त

Answer:- 1
Explanation:-

उपर्युक्त पंक्तियों में दोहा छन्द है। भावार्थ : श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्शन को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

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