सोरठा
चौपाई
दोहा
बरवै
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर। ऽ। ऽ। ऽऽ ।ऽ ।। ।। ऽ। ऽऽ। ब्रज देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।। ऽ। ऽ। ऽ।। ।।। ।। ।। ।। ।। ऽ। उपर्युक्त पंक्तियों में दोहा छन्द है। भावार्थ : आपका शरीर लाल है और आपकी पूँछ लाल है और आपने लाल सिंदूर धारण कर रखा है और आपके वस्त्र भी लाल हैं, आपका शरीर वज्र जैसा है और आप दुष्टों का नाश कर देते हैं, हे हनुमान जी ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो।
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