उल्लाला
छप्पय
हरिगीतिका
गीतिका
छप्पय मात्रिक विषम और संयुक्त छन्द है। जैसा इसके नाम से ही स्पष्ट है। इस छन्द के 6 चरण होते हैं। रोला और उल्लाला के योग से बनता है। इसके चार चरणों में 24-24 मात्राएँ तथा अंतिम दो चरणों में 28-28 अथवा 26-26 मात्राएँ होती हैं। इसमें प्रथम चार पंक्तियाँ रोला तथा अंतिम दो पंक्तियाँ उल्लाला की होती है।
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