छप्पय
कुण्डलिनी
इन्द्रवज्रा
उपजाति
‘कुण्डलियाँ’ विषम मात्रिक संयुक्त छन्द है। दोहा और रोला छन्दों को मिलाने से यह छन्द बनता है। इसमें 6 चरण होते हैं। इस छन्द में प्रथम दो पंक्तियाँ दोहा की एवं अन्तिम चार पंक्तियाँ रोला की होती हैं। दोहे का अन्तिम चरण अर्थात् चौथा चरण रोले के प्रथम चरण में दुहराया जाता है। तथा दोहे के प्रारम्भ का शब्द रोले के अन्त में आता है। प्रत्येक पंक्ति में 24-24 मात्राएँ होती हैं।
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