वात्सल्यरस
श्रृंगार रस
शांत रस
भक्ति रस
उपर्युक्त पंक्तियों में श्रृंगार रस है। बिहारी जी कह रहे हैं कि श्रीकृष्ण से वार्ता सुख प्राप्त करने को उत्सुक गोपियों ने भगवान कृष्ण की मुरली छिपा दी हैं। एक ओर वह कृष्ण के सामने बाँसुरी न चुराने की सौगन्ध (कसम) खाती हैं और दूसरी ओर भौंहों-ही-भौंहों में हँसने लगती हैं तथा संकेत भी देती हैं।
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