हास्य रस
अद्भुत रस
रौद्र रस
शांत रस
उपर्युक्त पंक्तियों में अद्भुत रस निहित है। यहाँ श्रीकृष्ण के मुख में माता यशोदा के द्वारा देखा गया विश्व का दृश्य क्षणभर के लिए अचेतन बना दिया। शांत रस - पायो नाम चारु चिन्तामनि, उर करते न खसैहों। स्याम रुप रुचिर कसौटी, चित कंचनहि कसैहो।।
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