करुण
शांत
भक्ति
वात्सल्य
उपर्युक्त पंक्तियों में भक्ति रस है। उक्त पंक्तियों के अनुसार कहा गया है कि हे मन, अवसर बीता जा रहा है और बाद में जब यह मानव देह छिन जायेगी तब तू बहुत पछताएगा। मानव देह जो देव-दुर्लभ है, बहुत बड़ी भगवद-कृपा के बाद ही प्राप्त होती है।
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