सोरठा
चौपाई
दोहा
बरवै
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन। ऽ। ऽ। ।। ऽ। ।ऽ ।।। ।।ऽ ।।। जाहिं दीन पर नेह, करहु कृपा मर्दन मयन।। ऽ। ऽ। ।। ऽ। ।।। ऽऽ ।ऽ। ।।। उपर्युक्त पंक्तियों में सोरठा छन्द है। भावार्थ : जिनका कुंद के पुष्प और चन्द्रमा के समान (गौर) शरीर है, जो पार्वतीजी के प्रियतम और दया के धाम हैं और जिनका दीनों पर स्नेह है, वे कामदेव का मर्दन करने वाले शंकरजी मुझ पर कृपा करें।
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