चौपाई
हरिगीतिका
रोला
मालिनी
‘मंगल करनि, कलि मल हरनि, तुलसी कथा, रघुनाथ की।’ ऽ।। ।।। ।। ।। ।।। ।।ऽ ।ऽ ।।ऽ। ऽ उपर्युक्त पंक्ति में हरिगीतिका छन्द है। हरिगीतिका सम-मात्रिक छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 16 और 12 अथवा 14 और 14 पर यति से 28 मात्राएँ होती हैं। अन्त में गुरु होता है।
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