दिवस का अवसान समीप था।
तारे डूबे तम टल गया, छा गई व्योम लाली।
हे प्रभो ! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिए।
मिली मैं स्वामी से पर कह सकी क्या संभल के !
हे प्रभो ! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिए। ऽ ।ऽ ऽऽ।ऽऽ ऽ। ।।ऽ ऽ।ऽ उपर्युक्त पंक्ति में गीतिका छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 26 मात्राएँ होती हैं तथा इसमें 14-12 मात्राओं की यति होती है और अन्त में लघु-गुरु का प्रयोग होता है।
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