उपमालंकार
रुपकालंकार
श्लेषालंकार
उत्प्रेक्षालंकार
जहाँ उपमेय और उपमान में भेद रहित आरोप किया जाता है, वहाँ ‘रुपक’ अलंकार होता है। इसके लिए तीन बातों का होना आवश्यक है - I. उपमेय को उपमान का रुप देना। II. वाचक पद का लोप। III. उपमेय का भी साथ-साथ वर्णन।
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