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लाटानुप्रास
रुपक
उत्प्रेक्षा
वक्रोक्ति
प्रस्तुत पंक्ति में श्रीकृष्ण के सुन्दर श्याम शरीर में नीलमणि पर्वत की और उनके शरीर पर शोभायमान पीताम्बर में प्रभात की धूप की मनोरम सम्भावना अथवा कल्पना की गई है। अतएव यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
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