काली घटा का घमंड घटा
मानो घर-घर न हो, कोई चिड़ियाघर हो
ये हैं सरस ओस की बूँदें या हैं मंजुल मोती
उषा उदास आती है
‘मानो घर-घर न हो, कोई चिड़ियाघर हो।’ उक्त पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है, इसमें वाचक शब्द ‘मानो’ का प्रयोग किया गया है। रुपक - काली घटा का घमंड घटा। मानवीकरण - उषा उदास आती है।
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