निर्देश—निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तरों के दिये गये बहु-विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें :
'कल्पना' और 'व्यक्तित्व की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी । 'कल्पना' काव्य का बोधपक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतःसाक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोधपक्ष के अतिरिक्त काव्य का भावपक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले कल्पना में आई हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमानेवाले रति, करुणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिद्धान्त की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में 'कल्पना'-'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भावपक्ष से हट गया और बोधपक्ष पर ही भिड़ गया । काव्य की रमणीयता उस हल्के आनन्द के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनन्द के लिए हम नई-नई सुन्दर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते हैं। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनन्द कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।
कवि या श्रोता को अंत:साक्षात्कार बोध किस का होता है-

  • 1

    व्यक्तित्व का

  • 2

    विलक्षणता का

  • 3

    कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का

  • 4

    मनोविकारों का

Answer:- 3

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