गुरु के रूप में
प्रेमी के रूप में
सखा के रूप में
प्रेमिका के रूप में
सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा में 'आराध्य' या 'परमात्मा' को प्रेमिका के रूप में देखा गया है। जबकि 'आराधक' या 'आत्मा' को प्रेमी के रूप में। शुक्ल ने स्त्री तथा पुरुष को क्रमश: 'परमात्मा' तथा 'आत्मा' का प्रतीक माना गया है।
Post your Comments