केशवचन्द्र सेन
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
राजाराम मोहनराय
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
'तदीय समाज' का सम्बन्ध भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से था। ये हिन्दी साहित्य के संदर्भ में नवजागरण के अग्रदूत, 'निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल' को बीज मंत्र मानने वाले, कविता वर्धिनी सभा (1870 ई.) पेनी रीडिंग क्लब (1873 ई.), तदीय समाज (1873 ई.) की स्थापना करने वाले, बल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षित, उर्दू में 'रसा' उपनाम से कविताएं करने वाले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने लगभग सत्तर काव्य ग्रंथों की रचना की है।
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