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रामानन्द
कबीर
मतिराम
पद्माकर
'प्रबोध पचासा' ग्रंथ के रचयिता 'पद्माकर' हैं। पद्माकर रीति काल के अंतिम प्रसिद्ध कवि हैं तथा इनके काव्य में 'श्रृंगार', 'भक्ति' और 'वीर रस' की त्रिवेणी प्रवाहित होती है।
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