उनके सिद्धान्त ने संज्ञानात्मक परिपक्वकता और नैतिक परिपक्वकता के बीच एक सहयोग का समर्थन किया है।
इस सिद्धान्त में विस्तृत परीक्षण प्रक्रियाएँ हैं।
यह नैतिक तर्क और कार्यवाही के बीच एक स्पष्ट संबंध स्थापित करता है।
उनका विश्वास है कि बच्चे नैतिक दार्शनिक है।
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