प्रत्येक विद्यार्थी को व्यक्तिगत रूप से दत्त कार्य देना।
प्रारंभिक व्याख्या के बाद कठिन सवालों को हल करने में बच्चे की सहायता न करना।
बच्चे उन बच्चों की संगति में श्रेष्ठतम रूप से सीख सकते हैं जिनका बुद्धि-लब्धांक से कम होता है।
सहयोगात्मक समस्या समाधान।
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