अष्टभुज हैं
षड्भुज हैं
चतुर्भुज हैं
द्विभुज हैं
चोल काल में निर्मित नटराज की कांस्य प्रतिमाओं में देवाकृति प्राय: चतुर्भुज है। दक्षिण भारत के विशेषकर चोल काल में नटराज की प्रतिमा को विश्व में श्रेष्ठतम प्रतिमा माना जाता है। चोलों द्वारा विकसित कला शैली दक्षिण भारत के साथी श्रीलंका में भी अपनायी गयी। चोल कला का चरमोत्कर्ष-चोल कांस्य प्रतिमाओं को माना जाता है। चोल कला की सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति चिदम्बरम मन्दिर की नटराज प्रतिमा है। चोल कला के सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्र -बृहदेश्वर या राज राजेश्वर मन्दिर के प्रदक्षिणा पथ में बने है। शिव की 'दक्षिणामूर्ति' प्रतिमा उन्हें शिक्षक के रूप में प्रदर्शित करती है।
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