जीन पियाजे और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के विचारों की अहंकेंद्रित प्रकृति के रूप में करेंगे।
जीन पियाजे इसे अहंकेंद्रित भाषा कहेगा और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के द्वारा निजी भाषा से अपनी क्रियाओं को नियमित करने के प्रयासों के रूप में करेगा।
जीन पियाजे इसकी व्याख्या सामाजिक अन्योन्यक्रिया के रूप में करेगा और लेव वाइगोत्स्की इसे खोजबीन मानेगा।
जीन पियाजे और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के द्वारा अपनी माँ के अनुकरण के रूप में करेंगे।
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