दो बार
तीन बार
चार बार
छः बार
अनुच्छेद 85 के आधार पर संसद की दो बैठक के मध्य छः माह से अधिक का अंतर नहीं होता है। अतः वर्ष में कम से कम दो बैठक अवश्य होनी चाहिए। भारतीय संसदीय परम्परा के आधार पर संसद की सामान्यतः तीन बैठक होती है, फरवरी-मई की बैठक को बजट सत्र, जुलाई-सितम्बर की बैठक को मानसून सत्र एवं नवम्बर-दिसम्बर की बैठक को शीत कालिन सत्र कहते हैं।
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