विद्यार्थियों में न कोई समान विशेषताएँ होती हैं और न ही उनके लक्ष्य समान होते हैं
सभी शिक्षार्थियों में एकसमान पाठ्यचर्या सम्भव नहीं है
एक विषमरूपी कक्षा में शिक्षार्थियों की क्षमताओं को विकसित करना असम्भव है
कोई भी दो शिक्षार्थी अपनी योग्यताओं रूचियों तथा प्रतिभाओं आदि में एक समान नहीं हो सकते।
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