किशोरावस्था के दौरान बच्चों में समायोजन की प्रवृत्ति अधिक प्रभावी रहती है जबकि बाल्यावस्था के दौरान इसका अभाव पाया जाता है और इनके असामाजिक गतिविधियों में संलग्न हो जाने का भय रहता है।
बाल्यावस्था के दौरान सामान्यतया बच्चों में अनुशासन तथा आज्ञापालन की प्रवृत्ति पायी जाती है जबकि किशोरावस्था के दौरान अनुशासनहीनता, स्वतंत्रता तथा बड़ों की आज्ञा की अवहेलना जैसी प्रवृत्तियाँ अधिक प्रभावी रहती हैं।
किशोरावस्था में संवेगों का प्रवाह तीव्र होता है जबकि बाल्यावस्था में संवेगों की प्रवाह सीमित रहता है।
बाल्यावस्था शान्त, शीतल और सामान्य विकास की अवस्था कही जाती है जबकि किशोरावस्था को स्टेनले हाल ने बड़े तनाव, दबाव, तूफान और संघर्ष की अवस्था कहा है।
Post your Comments