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क्रियात्मक अनम्यता-एक वस्तु के केवल परंपरागत कार्य पर ध्यान देना।
प्रतिक्रिया निर्धारण-समस्या प्रस्तुतीकरण के एक ही आयाम में सीमित रहना।
साधन-साध्य, विश्लेषण-समस्या को अनेक उपलक्ष्यों में विभाजित करना।
समाधान के मूल्यांकन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना।
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