कंपनी के राजस्व के भुगतान की जवाबदारी जमीनदारों की थी
गाँव के रैय्यत जमीनदारों को किराया देते थे
जोतदार अन्य रैय्यतों को कर्जा देते थे और उनकी उपज बेचते थे
रैय्यत गाँवों में राजस्व माँग (जमा) को बाँटते थे
रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था में प्रत्येक पंजीकृत जमीन धारक को भू-स्वामी स्वीकार कर लिया गया। वह ही राज्य सरकार को भूमिकर देने के लिए उत्तरदायी था। इसका पास भूमि को बेचंने या गिरवी रखने का अधिकार था।
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