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सर थॉमस रो ब्रिटिश सम्राट जेम्स I का दूत बनकर 1616 ई. में मुगल दरबार में आया। यह सम्राट जहांगीर के साथ मांडू, अहमदाबाद और अजमेर के अनेक स्थलों का भ्रमण किया। यह जहाँगीर से व्यापारिक अनुमति लेने में सफल रहा। इसकी पुस्तक A Voyoge to East India में 16वीं सदी की व्यवस्था का स्पष्ट विवरण मिलता है। नवंबर 1616 में जहांगीर ने दक्कन मैं चल रही जंग के नजदीक रहने के लिहाज से मांडू (एमपी) को छावनी बनाया। यहां उसके साथ रो भी था। ‘एंबेसी ऑफ थॉमस रो टू इंडिया’ में उस छावनी में जहांगीर की शान और शौकत का वर्णन किया गया है। थॉमस रो भारत में 3 साल तक रहा और सूरत के अलावा बंगाल से भी ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापार करने की छूट दिलाने में कामयाब रहा। यह सन 1615 में भारत आया था। सर थॉमस रो (ब्रिटिश सम्राट द्वारा नियुक्त) 1615 से 1619 तक भारत में रहा थॉमस रो 14 फरवरी 1616 को अजमेर में जहांगीर से पहली बार मिला। बाद में वहां जहांगीर के साथ मांडू अहमदाबाद भी गया। 1619 में वह जहांगीर का यह फरमान लेकर इंग्लैंड लौटा कि मुगल दरबार में अंग्रेजों का इसी प्रकार स्वागत होगा। उसका विवरण 'हुकलुगाई सोसायटी' द्वारा प्रकाशित किया गया।
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