कोहलबर्ग ने अपने अध्ययन को मूलत: पुरूषों के नमूनों पर आधूत रखा है।
कोहलबर्ग ने नैतिक तर्क के प्रत्येक सोपान के लिए विशेष उत्तर नहीं दिया है।
अपनी सैद्धांतिक रूपरेखा पर पहुंचने के लिए कोहलबर्ग ने पियाजे के सिद्धांतों को दोहराया है।
कोहलबर्ग का सिद्धांत बच्चों के प्रत्यउत्तरों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता।
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