भक्ति
द्वैतवाद
विशिष्टाद्वैत
एकेश्वरवाद
विशिष्टाद्वैत आचार्य नामानुज का प्रतिपादित किया हुआ है। यह दार्शनिक मत है, इसके अनुसार यद्यपि जगत और जीवात्मा दोनों कार्य था। ब्रह्म से भिन्न है फिर भी विभ्रम से ही अद्भुत है और ब्रह्म से उनका उसी प्रकार संबंध है जैसे की किरणों का सूर्य से है अतः ब्रह्म एक होने पर भी अनेक है।
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