शैव संप्रदाय से
वैष्णव संप्रदाय से
अद्वैत संप्रदाय से
द्वैताद्वैत संप्रदाय से
कामरूप (असम) वैष्णव धर्म को लोकप्रिय बनाने वाले संकरदेव थे। इनका समय 1449 - 1568 ई. तक था। इसका संदेश विष्णु या उनके अवतार कृष्ण के प्रति भक्ति पर केंद्रित था। एकेश्वरवाद इनकी शिक्षाओं का सार था। इनके द्वारा स्थापित संप्रदाय एक शरण संप्रदाय के रूप में प्रसिद्ध हुआ। शंकरदेव मूर्ति पूजा और कर्मकांड दोनों के विद्रोही थे।
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