समरथ को नाहिं दोष गोसाई
सेर को सवा सेर
सइया भये कोतवाल अब डर काहे का
सखी न सहेली, भली अकेली
‘एक से बढ़कर दूसरे’ का अर्थ व्यक्त करने के लिए सही लोकोक्ति - सेर को सवा सेर। समरथ को नाहिं दोष गोसाई - सामर्थ्यवान व्यक्ति को कोई भी कुछ नहीं कहता। सइया भये कोतवाल अब डर काहे का - अधिकारी संबंधी होने पर उसके पद का अनुचित लाभ लेना। सखी न सहेली, भली अकेली - अकेले रहना अच्छा है।
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