वर्तमानकालिक रुप में
भविष्यकालिक रुप में
भूतकालिक रुप में
आज्ञार्थक रुप में
क्रिया के आज्ञार्थक रुप में कर्ता के अनुसार लिंग परिवर्तन नहीं होता। जब क्रिया के रुप में आज्ञा, प्रार्थना, इच्छा आदि का बोध हो तो इसे आज्ञार्थक क्रिया के रुप में जाना जाता है। इसके दोनों लिंगों में रुप समान होता है।
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