बच्चों को अधिगम हेतु प्रेरित करने के लिए परीक्षणों की संख्या को बढ़ा देना।
अध्यापकों द्वारा बच्चों की स्वायत्तता को बढ़ावा व सहायता देना।
समानता बनाए रखने के लिए किसी एक अनुदेशन पद्धति पर टिके रहना।
कालांश की अवधि को 40 मिनट से 50 मिनट तक बढ़ा देना।
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