जहां उनकी संवेगात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और वे अनुभव करते है कि वे महत्वपूर्ण हैं।
जहां शिक्षक एकाधिकारवादी है और स्पष्ट आदेश देता है कि क्या किया जाना चाहिए।
जहां मूलरूप से पढ़ने, लिखने और गणित की संज्ञानात्मक कुशलताओं पर ही ध्यान का केंद्र होता है और बल दिया जाता है।
जहां शिक्षक सारे अधिगमों में आगे होता है और विद्यार्थियों से निष्क्रिय रहने की अपेक्षा करता है।
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