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बालकों का संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा मनोचालक पक्षों का विकास होगा।
पढ़ने-लिखने एवं गणितीय कुशलताओं पर ही बल होगा।
शिक्षक अधिगम प्रक्रिया में आगे होकर बालकों को निष्क्रिय रखेगा।
शिक्षण व्यवस्था एकाधिकारवादी होगी।
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