यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है।
यह विभिन्न शिक्षा-क्षेत्रों में बच्चे की उपलब्धि पर केंद्रित है।
यह बच्चों को धीमे, खराब या बुद्धिमान के रूप में चिन्हित करने में उपयोगी होता है।
इसे भारत के शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) द्वारा अनिवार्य किया गया है।
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