जवाहरलाल नेहरु ने
महात्मा गांधी ने
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने
सरोजनी नायडू ने
गाँधी जी ने कांग्रेस को अपने प्रस्ताव को स्वीकार न किए जाने की स्थिति में चुनौती देते हुए कहाँ "मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आन्दोलन खड़ा कर दूँगा"। 14 जुलाई 1942 ई. को कांग्रेस कार्य समिति की वर्ध बैठक में गाँधी के इस विचार को पूर्ण समर्थन मिला कि भारत में सांविधानिक गतिरोध तभी दूर हो सकता है। जब अंग्रेज भारत से चले जाए। वर्धा में कांग्रेस कार्य समिति ने "अंग्रेजों भारत छोड़ों" प्रस्ताव पारित किया। भारत छोड़ों आन्दोलन का नेतृत्व गाँधी जी ने किया था। वर्धा में काँग्रेस कार्य समिति का अध्यक्ष मौलाना आजात थे।
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