मूलावस्था
चापलूसी करना
उत्तरावस्था
सार्वनामिक
उत्तरावस्था के विशेषण में दो प्राणियों वस्तुओं इत्यादि के गुण, दोष अथवा विशेषता की तुलना कर एक को दूसरे से बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है; जैसे- बच्चे ज्यादातर क्रिकेट खेलना पंसद करते है। मूलावस्था- जब कहीं कोई तुलना न की गयी हो, अर्थात् एक संज्ञा-पद हो और उसके किसी गुण की चर्चा हो, तो विशेषण की स्थित में मूल्यावस्था कहते है; जैसे- राम, श्याम से अधिक सुन्दर है। सार्वनामिक विशेषण- वह आदमी व्यवहार से कुशल है, कौन छात्र मेरा काम करेंगा? दोनों वाक्यों में वह , कौन सार्वनामिक विशेषण है।
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