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प्रस्तुत दोहे में प्रयुक्त मुख्य क्रियापदों की संख्या आठ हैं। यह दोहा रीतिकालीन रीतिसिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित हैं, जो कि अन्त्यानुप्रास अलंकार तथा संयोग श्रृंगार रस का अद्भुत उदाहरण है। इसमें क्रिया पदों का विवरण निम्नानुसार है- 1. कहत - कहते हैं, इच्छा प्रकट करते हैं। 2. नटत - नाहीं-नाहीं करते हैं। 3. रीझत - प्रसन्न होते हैं। 4. खिझत - खींझते हैं, रंजीदा होते हैं। 5. मिलत - मिलते हैं। 6. खिलत - पुलकित होते हैं। 7. लजियात - लजाते हैं। 8. नेत्र - के इशारे से परस्पर बातचीत करते हैं। इस दोहे में कवि ने उस स्थिति में दर्शाया है, जब भरी भीड़ में भी दो प्रेमी बातें कहते हैं और उसका किसी को पता तक नहीं चलता है। ऐसी स्थिति में नायक और नायिका आँखों में रूठते हैं, मनाते हैं, मिलते हैं, खिल जाते हैं और कभी-कभी शरमाते भी हैं।
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