पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भक्ति साहित्य से वास्तविक हिन्दी साहित्य का आरम्भ माना है क्योंकि -

  • 1

    आदिकाल से लेकर भक्तिकाल तक की रचनाएं पुरानी हिन्दी में मिलती है

  • 2

    आदिकालीन हिन्दी उलटबाँसी शैली के कारण दुरूह है

  • 3

    पुरानी हिन्दी में ब्राहम्णों के कर्मकांड एवं वर्णाश्रम व्यवस्था पर तीव्र प्रहार किया गया है

  • 4

    अपभ्रंशाभास हिन्दी भक्तिकाल तक आते-आते काव्य भाषा के रूप में स्थापित हो जाती है और हिन्दी का स्वरूप स्पष्ट हो जाता है

Answer:- 4

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