इसमें पाठ्य-पुस्तक के प्रत्येक पाठ के अन्त में अनुवाद हेतु वाक्य दिये जाते हैं।
इसमें एक व्यक्ति मातृभाषा में बोलता है तथा दूसरा व्यक्ति उसका संस्कृत रूपान्तर करता जाता है
इस विधि में शिक्षक पहले आदर्श अनुवाद प्रस्तुत करता है, उसको समझ कर छात्र आदर्श अनुवाद के अनुकरण पर अनुवाद करते है।
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इस विधि में अनुवाद को याद करना सिखाया जाता है
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