निर्देश : नीचे दिए गए गद्यांश के बाद प्रश्न दिए गए हैं।
इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़े और चार विकल्पों में से प्रत्येक प्रश्न का सर्वोत्तम उत्तर चुने। अवध की संस्कृति में सुसज्जित घोड़ा परिवहन का साधन और शान का प्रतीक था। मुख्य रूप से तीन प्रकार के ताँगे और इक्के मिलते हैं- बग्गी, फिटन और टमटम। बग्गी बन्द डिब्बे को होती है, तो फिटन और टमटम खुले वाहन हैं, जिन्हें नवाबों द्वारा यात्रा में वरीयता दी जाती थी। किन्तु ताँगे व इक्के का शाब्दिक अर्थ अधिक अश्व शक्ति की ओर इंगित करता है। इक्के में एक घोड़ा होता है। जबकि बग्गी या ताँगे में दो, चार या अधिक घोड़े होते हैं। यह वास्तव में इस्तेमाल करने वाले की सामाजिक प्रतिष्ठा पर निर्भर करता है। 18वीं सदी
के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के प्रारम्भ में अवध के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक माहौल में बदलाव आया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हल्के वाहनों का निर्माण और इस्तेमाल होने लगा, जिसमें कम-से-कम अश्व शक्ति लगे। सामान्य बोलचाल में इक्के का अर्थ हैं- इक या एक, यानि एक व्यक्ति के इस्तेमाल के लिए। इसके अतिरिक्त ताँगा एक परिवार वाहन था, किन्तु किफायत की मजबूरी को देखते हुए इक्के में अधिक संख्या में यात्री बैठाने पड़ें। ताँगा अपेक्षाकृत भारी और बड़ा वाहन है, जिसमें पैरों के लिए अधिक जगह होती हैं और चार से छह वयस्क पीछे कमर लगाकर बैठ सकते हैं। हर साल इन ताँगो और इक्कों की दौड़ लखनऊ में होती है। जंगी घोड़े इस दौरान सबके लिए आकर्षण का केन्द्र-बिन्दु होते है। घोड़े के खुरों का भी शृंगार किया जाता है। पुरानी नाल के स्थान पर नई नाल लगाई जाती है। पैरों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए कशीदाकारी युक्त वस्त्र पैरों में डाले जाते हैं और पीतल या चाँदी के घुघरू बाँधे जाते है।  घोड़ों के पैरों को किस रूप में सजाया जाता है?

  • 1

    कशीदाकारी युक्त वस्त्र

  • 2

    कलमकारी युक्त वस्त्र

  • 3

    बुनाई वाले वस्त्र

  • 4

    चमकीले वस्त्र

Answer:- 1

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