कुमारगुप्त प्रथम
हर्ष
धर्मपाल
विजयसेन
1985 में कनिंघम ने इसकी खोज की थी। वर्ष 1985 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया। पाल वंश के द्वितीय राजा धर्मपाल देव ने छठवीं शताब्दी के अंतिम काल में या 9 वीं शताब्दी में इस बिहार का निर्माण कराया था।
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