कर्म
निष्ठ
अहिंसा
विराग
अहिंसा का सामान्य अर्थ हिंसा ना करना इसका व्यापक अर्थ है- किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुंचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटु वाणी आदि के द्वारा भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में किसी भी प्राणी को हिंसा न करना या अहिंसा है जैन धर्म के मूल मंत्र में अहिंसा परमो धर्म कहा गया है।
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