अर्ध - मागधी
पाली
प्राकृत
संस्कृत
जैन साहित्य अत्यंत विशाल है यह अधिकतर अपभ्रंश प्राकृत और संस्कृत भाषा में लिखी गई है आगे चलकर अपभ्रंश तथा अपभ्रंश की उत्तर कालीन लोक भाषाओं में जैन पंडितों ने अपनी रचनाएं लिखकर भाषा साहित्य को समृद्ध बनाया। आदिकालीन साहित्य में जैन साहित्य के ग्रंथ सर्वाधिक संख्या में और सबसे प्रमाणिक रूप में मिलते हैं। ध्यान दीजिए प्राचीन जैन साहित्य अर्द्ध मागधी में लिखे गये हैं जब कि सबसे ज्यादा जैन साहित्य प्राकृत भाषा में लिखे गये हैं। जैन धर्म में उपदेश भी प्राकृत भाषा में दिए गए हैं।
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