कर्ता की देयता सीमित होती है।
किसी संयुक्त हिंदू परिवार का व्यवसाय सह-भागीदार की मृत्यु होने पर अस्तित्व में बना रहता है।
संयुक्त हिंदू परिवार व्यवसायकर्ता की मृत्यु होने पर अस्तित्व में नहीं रहता है।
संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय हिंदू कानून द्वारा ही अस्तित्व में आता है।
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