लद्दाख
मणिपुर
गोवा
पुदुचेरी
दो साल के कोरोनावायरस के चलते अंतराल के बाद पारंपरिक उत्साह के साथ साओ जोआओ फेस्टिवल मनाया गया।
साओ जोआओ को सेंट जॉन द बैपिस्ट भी कहते है और प्रतिवर्ष 23 जून को मनाया जाता है।
यह त्योहार सेंट जॉन द बैपटिस्ट को समर्पित है, जिन्होंने जॉर्डन नदी पर प्रभु यीशु को बपतिस्मा दिया था और इसे मानसून की शुरुआत में मनाया जाता है।
उत्तरी गोवा का एक गांव सिओलिम, साओ जोआओ के अवसर पर पारंपरिक डोंगी परेड का आयोजन करता है।
गोवा का साओ जोआओ त्योहार लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का भी जरिया है। बारिश का आनंद लेने और पानी में कूदकर मज़ा लेने से पहले लोग वहाँ के पेय पदार्थ फेन्नी का आनंद लेते हैं।
कार्निवाल के अंत में लज़ीज़ व्यंजनों का आनंद लेने की बारी आती है।
लोग अपने मनपसंद के स्थानिय व्यंजनों और पेय पदार्थों का मज़ा लेते हैं।
पर्व के दौरान सॉल्सेट तालुक पर वहाँ के लोक नृत्य को करने का भी रिवाज़ है।
बार्डेज़ में रंग बिरंगे पारंपरिक तरीके से सजे नौकाओं की नौका दौड़ की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।
नौका दौड़ के लिए सजी नाव साओ जोआओ के उत्साहिक, हर्षोल्लास और मनोरंजन से भरे पर्व का मिश्रण है।
यह कार्निवाल लोगों को एक साथ एक दूसरे के करीब लाता है।
जॉन बैपिस्ट को बाद में जॉर्डन नदी में यीशु मसीह का नाम दिया गया था।
उत्सव - स्थान
1. साओ जोआओ - गोवा
2. अम्बुबाची मेला - असम
3. सीतल षष्ठी पर्व - ओड़िशा
4. सरहुल महोत्सव - झारखंड
5. गणगौर उत्सव - राजस्थान
6. राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव - आंध्र प्रदेश
7. ईशान उत्सव - नई दिल्ली
8. मेदाराम जतारा महोत्सव - तेलंगाना
9. तोरग्या महोत्सव - अरुणांचल
10. स्पितुक गस्टर महोत्सव - लद्दाख
11. कचाई लेमन महोत्सव - मणिपुर
12. वंगला महोत्सव - मेघालय
13. लोसांग उत्सव - सिक्किम
14. लोसार उत्सव - लद्दाख
Post your Comments