दसवीं शताब्दी ईस्वी में
पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी ईस्वी में
वैदिक काल में
बारहवीं शताब्दी ईस्वी में
15वीं और 16वीं शताब्दी में अनेक आंदोलन का उदय हुआ। भक्ति आंदोलन मध्यकालीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक धार्मिक सुधारकों की धारा द्वारा समाज विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार प्रसार किया यह एक मौन क्रांति थी।
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