माधवाचार्य ने
वल्लभाचार्य ने
रामानुज ने
श्रीकांताचार्य ने
महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चम्पारण है। उनका प्रादुर्भाव विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण एकादशी को दक्षिण भारत के कांकरवाड ग्रामवासी तैलंग ब्राम्हण श्री लक्ष्मणभट्ट जी की पत्नी इलम्मागारू के गर्व से हुआ। यह स्थान वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के निकट चम्पारण है। उन्हें वैश्र्वानवतार (अग्नि का अवतार) कहा गया है। वह वेद शास्त्र में पारंगत थे शुद्ध अद्वैतवाद का प्रतिपादन इन्होंने ही किया है।
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