जिस क्रिया में आज्ञा का बोध होता है।
जिस क्रिया को कर्ता स्वयं न करके दूसरे को प्रेरित करता है।
जिस क्रिया को करने के लिए आश्चर्य का बोध होता है।
जिस क्रिया को कर्ता स्वयं करता है।
जिस क्रिया को कर्ता स्वयं न करके दूसरे को करने के लिए प्रेरित करता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
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